कानपुर - कोरोना वायरस उत्पन्न हुई समस्या से निपटने के लिये सरकार ने गरीब मजदूरों तथा जनधन खाता धारक महिलाओं को आर्थिक सहायता देने का निर्णय लिया है लेकिन बैंक कर्मियों द्वारा सहयोग ना करने के कारण बहुत से लोग सरकारी आर्थिक सहायता का लाभ पाने से वंचित हैं ।
केन्द्र में भाजपा सरकार बनने के बाद गरीबों को मिलने वाली सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार खत्म करने औऱ योजना का लाभ सीधे लाभार्थी तक पहुँचाने के उद्देश्य से सभी के जीरो बैलेंस वाले बैंक खाते खुलवाये थे जिन्हें जनधन खाता का नाम दिया गया था । इसके साथ ही सरकार द्वारा जनधन खातों में न्यूनतम बैलेंस की कोई बाध्यता नहीं रखी गयी थी ।
इसके बावजूद कुछ बैंकों द्वारा खाता धारकों को बिना कोई सूचना दिये लोगों के खाते बंद कर दिये गये औऱ कुछ खातों को सामान्य बचत खातों में परिवर्तित कर दिया गया । अब जब कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न समस्या से निपटने के लिये सरकार द्वारा लोगों को आर्थिक सहायता देने का निर्णय लिया गया तो बैंक कर्मियों की कार्यशैली के कारण सरकार की योजना का लाभ जरूरतमंद लोगों को मिलना मुश्किल हो रहा है । क्योंकि बंद बैंक खाते को चालू कराने के लिये खाता धारक को केवाईसी फॉर्म भर कर बैंक में देना होता है जिसके बाद बैंक द्वारा उपभोक्ता की केवाईसी अपडेट कर खाता पुनः चालू कर दिया जाता है ।
सूत्रों की मानें तो कोरोना की इस संकट की घड़ी में प्रदेश के मुख्यमन्त्री द्वारा दिये गये तमाम निर्देशों के बावजूद कुछ बैंक कर्मी मानवता को तार तार कर केवाईसी अपडेट कराने के नाम पर खाता धारकों को कई दिनों तक बैंक के चक्कर लगवा रहे हैं । केवाईसी के नाम पर जनता का उत्पीड़न करने वाले बैंकों के कर्मचारी सरकार की योजनाओं में बाधक बनने के साथ साथ लोकसेवक नियमावली का उलंघन भी कर रहे हैं ।
ब्यूरो रिपोर्ट, कानपुर ।
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