गोंडा । लगातार बारिश एंव शारदा व गिरिजा बैराजों से हो रहे लगातार डिस्चार्ज से घाघरा नदी पूरे उफान पर दिखाई दे रही है जिससे प्रशासनिक अमले सहित बांध व बाढ़ से बचाव के कार्य में लगे सिंचाई विभाग की मुश्किलें काफी बढ़ गई हैं।
वैसे बुधवार से घाघरा नदी के जलस्तर में स्थिरता आने का अनुमान लगाया जा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार सोमवार दोपहर बाद जैसे ही घाघरा नदी ने खतरे के निशान को पार किया तो पीछे लौटने का नाम नहीं लिया और देखते ही देखते नदी का जलस्तर मंगलवार को खतरे के निशान से 42 सेंटीमीटर को पार कर गया।
बांध पर तैनात अधिशासी अभियंता एम.के सिंह ने बताया कि बांध की रिपेयरिंग व परियोजनाओं का कार्य समय से सुरक्षित स्तर तक करा लेने से एल्गिन चरसड़ी बांध को कोई खतरा नहीं है लेकिन बांध व नदी के उस पार बाराबंकी जनपद के सराय सुरजन, सनावा, भैरूपुर नदी के तलहटी वाले गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। परन्तु अभी तक केवल खेतों में पानी जाने की खबर है।
घाघरा नदी पर बने केन्द्रीय जल आयोग घाघरा घाट से मिली जानकारी के अनुसार घाघरा का जलस्तर मंगलवार सुबह आठ बजे 106 दशमलव 446 दर्ज किया गया जो कि खतरे के निशान से करीब 37 सेंटीमीटर तक ऊपर था लेकिन 11 बजते बजते नदी का जल स्तर खतरे के निशान से 42 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गया। जानकारों की मानें तो अभी यह जल स्तर देर शाम तक 50 सेंटीमीटर तक जा सकता है। वहीं नकहरा व मांझा रायपुर के मजरों में खतरे की घंटी बज चुकी है क्योंकि ये मजरे नवनिर्मित रिंगबांध व नदी के बीच में आते है।वहीं गांव वालों ने बताया कि अभी तक प्रशासन द्वारा इन लोगों के बचाव और राहत की कोई भी पहल नहीं की गयी है। जिससे सिंचाई विभाग और जिम्मेदार आला अधिकारियों के अब तक के प्रयास और बचाव कार्य नाकाफी साबित हो रहे हैं।
रिपोर्ट - एम.पी. मौर्या ।
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